कल्पना कीजिए, चेन्नई का चेपक स्टेडियम… पिली जर्सी में माही, स्टंप्स के पीछे उसकी नज़र, और पूरा स्टेडियम “Dhoni! Dhoni!” के नारे से गूँज उठा हो। ये दृश्य आईपीएल के हर सीज़न का अटूट हिस्सा बन चुका है। लेकिन आईपीएल 2025 के बीच पूर्व क्रिकेटर अंबति रायडू ने एक बयान देकर सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है: “धोनी के लिए इतनी दीवानगी ठीक नहीं। ये आईपीएल है, सिर्फ एक व्यक्ति का मंच नहीं।”
धोनी का जादू और फैन्स का पागलपन
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Toggleएक ओर जहाँ MSD का नाम ही क्रिकेट में “कूल” और “फिनिशर” का पर्याय बन चुका है, वहीं उनके प्रशंसकों का जुनून कई बार सीमाएँ तोड़ देता है। याद कीजिए 2018 आईपीएल फाइनल का वो मैच, जब धोनी ने लगातार तीन छक्के मारकर चेन्नई को जिताया था। उस दिन सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने वाला हर दसवाँ ट्वीट धोनी के लिए था। लेकिन क्या इसी जुनून के चलते हम अन्य खिलाड़ियों के योगदान को भूल जाते हैं? जैसे रुतुराज गायकवाड़ का शानदार स्टार्ट या रवींद्र जडेजा की हैट्रिक?
रायडू की चिंता यही है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “मैं खुद धोनी का फैन हूँ, लेकिन जब हर गेंद पर सिर्फ उन्हीं का नाम चिल्लाया जाता है, तो युवा खिलाड़ियों का मनोबल टूटता है। टीम गेम में सबका रोल अहम होता है।”
वो मैच जब मैंने "ओवर-फैनिंग" का असर देखा
पिछले साल मैं एक दोस्त के साथ मुंबई इंडियन्स vs CSK मैच देखने गया था। CSK की हार हुई, लेकिन मेरे बगल में बैठे एक युवक ने सिर्फ इसलिए मैच का टिकट फाड़ दिया क्योंकि धोनी ने सिर्फ 10 रन बनाए थे। उसका गुस्सा देखकर मैं हैरान रह गया। क्या एक खिलाड़ी की परफॉर्मेंस पूरी टीम से बड़ी हो गई है?
यही वो पल था जब मैंने समझा कि रायडू क्यों चेतावनी दे रहे हैं। अगर हम “विराट कोहली” या “रोहित शर्मा” के बजाय सिर्फ “Dhoni Dhoni” चिल्लाते रहेंगे, तो नए टैलेंट्स कैसे उभरेंगे?
फैन्स के लिए प्रैक्टिकल टिप्स: प्यार बनाए रखें, पागलपन नहीं
- टीम को प्राथमिकता दें: चेन्नई हो या रॉयल चैलेंजर्स, टीम की जीत-हार को एक साथ सेलिब्रेट करें।
- युवाओं को मौका दें: शिवम दुबे या यशस्वी जैसरवाल जैसे नए सितारों को सपोर्ट करें। उनके छक्के भी उतने ही दमदार होते हैं!
- सम्मान बरकरार रखें: धोनी के लिए तालियाँ बजाएँ, लेकिन विरोधी टीम के अच्छे प्रदर्शन पर भी वाह-वाही दें।
सोशल मीडिया पर संयम: सिर्फ ट्रोल करने के बजाय, क्रिकेट की बारीकियों पर चर्चा करें।
क्रिकेट एक खेल है, धर्म नहीं
धोनी ने भारतीय क्रिकेट को जो दिया, वो अतुलनीय है। लेकिन उनका ही मानना है कि “खेल टीम का होता है, किसी एक का नहीं।” आईपीएल 2025 में हमारा फोकस नए टैलेंट, रोमांचक मुकाबलों और क्रिकेट की भावना पर होना चाहिए। जैसे रायडू ने कहा, “प्यार करो, मगर आँखें खुली रखो।”
तो अगली बार स्टेडियम में “Dhoni! Dhoni!” चिल्लाने से पहले, एक बार “CSK” या “भारत” का नाम भी याद कर लें। क्योंकि क्रिकेट एक टीम है, और टीम में सबका साथ ही असली जीत होती है!