
क्रिकेट का खेल जितना रोमांचक होता है, उतना ही अप्रत्याशित भी। आईपीएल 2025 के इस सीज़न में मुंबई इंडियंस और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच हुए मैच ने एक नई बहस छेड़ दी है—क्या टीम की जीत के लिए खिलाड़ी को मैच के बीच में ही ‘रिटायर्ड आउट’ करना न्यायसंगत है? इस सवाल का केंद्र बना मुंबई का युवा बल्लेबाज तिलक वर्मा, जिसे टीम ने 19वें ओवर में अचानक पवेलियन वापस बुला लिया। चलिए, इस घटना के पीछे की कहानी समझते हैं और जानते हैं कि यह फैसला क्यों हुआ, इस पर प्रतिक्रियाएं क्या रहीं, और आईपीएल इतिहास में ऐसे कौन-कौन से खिलाड़ी रहे हैं जिन्हें ‘रिटायर्ड आउट’ किया गया
मैच का दबाव और वो विवादित फैसला
लखनऊ के एकना स्टेडियम में हुए इस मुकाबले में LSG ने 203 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। जवाब में मुंबई इंडियंस की टीम मैच के अंत तक जूझती रही। तिलक वर्मा, जो ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ के तौर पर उतरे थे, 23 गेंदों में 25 रन बनाकर संघर्ष कर रहे थे। 19वें ओवर में जब मुंबई को 7 गेंदों में 24 रन चाहिए थे, कोच महेला जयवर्धने ने तिलक को पवेलियन वापस बुलाने का फैसला किया। उनकी जगह मिचेल सैंटनर को भेजा गया, लेकिन यह चाल कामयाब नहीं हुई और MI 12 रन से हार गई |
“चोट ने बनाया मजबूर”—कोच और कप्तान का पक्ष
मुंबई के कोच महेला जयवर्धने ने इस फैसले को “केवल रणनीतिक” बताया। उन्होंने कहा कि तिलक के बाएं हाथ की उंगली में चोट थी, जिससे वह गेंदों पर जोरदार प्रहार नहीं कर पा रहे थे। साथ ही, उनका स्ट्राइक रेट धीमा होने से टीम को नए बल्लेबाज की जरूरत महसूस हुई। कप्तान हार्दिक पांड्या ने भी इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा, “कुछ दिन ऐसे आते हैं जब आप कोशिश करते हैं, लेकिन रन नहीं बनते। यह टीम का फैसला था, और हम इसे साथ मिलकर स्वीकार करते हैं

फैंस और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं—किसने दिया साथ, किसने उठाए सवाल?
सोशल मीडिया पर यह फैसला तीखी बहस का विषय बन गया। कई फैंस ने तिलक के साथ “अन्याय” बताया, तो कुछ ने इसे टीम की जरूरत समझा। पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने सवाल उठाया: “क्या सैंटनर तिलक से बेहतर हिटर हैं? अगर पोलार्ड जैसे खिलाड़ी को भेजते तो समझ आता।” वहीं, हनुमा विहारी ने ट्वीट किया: “हार्दिक खुद गुजरात टाइटंस के खिलाफ संघर्ष करते हैं, लेकिन उन्हें कभी ‘रिटायर्ड आउट’ नहीं किया गया।”
आईपीएल इतिहास में ‘रिटायर्ड आउट’ का सफर
तिलक वर्मा इस लिस्ट में चौथे खिलाड़ी बन गए हैं:
- रविचंद्रन अश्विन (2022): राजस्थान रॉयल्स ने LSG के खिलाफ अश्विन को 19वें ओवर में रिटायर्ड आउट किया, ताकि रियान पराग को तेजी के लिए भेजा जा सके।
- साई सुधर्शन (2023): गुजरात टाइटंस ने मुंबई के खिलाफ सुधर्शन को हटाकर राशिद खान को भेजा, जिसने पहली ही गेंद पर चौका जड़ा।
- अथर्व तायड़े (2023): पंजाब किंग्स ने दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ तायड़े को रिटायर्ड आउट किया, ताकि बड़े हिटरों को समय मिल सके।

क्या यह फैसला टी20 क्रिकेट का नया ट्रेंड बनेगा?
यह घटना दिखाती है कि आधुनिक क्रिकेट में जीत के लिए टीमें कितनी कठोर रणनीतिक फैसले लेने को तैयार हैं। कोच जयवर्धने ने कहा, “यह आसान नहीं था, लेकिन मैच की मांग थी।” हालांकि, यह सवाल भी उठता है कि क्या ऐसे फैसले युवा खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को प्रभावित करते हैं? फैंस की भावनाएं और टीम की जरूरतें—इन दोनों के बीच संतुलन बनाना कोचों के लिए चुनौती बना रहेगा।
खेल का नया रूप, नए सवाल
तिलक वर्मा का केस सिर्फ एक मैच का विवाद नहीं, बल्कि टी20 क्रिकेट के बदलते स्वरूप को दर्शाता है। जहां एक तरफ टीमों को “रिटायर्ड आउट” जैसे फैसलों से जीत मिल सकती है, वहीं दूसरी तरफ यह खिलाड़ियों की भावनाओं और उनके योगदान को लेकर सवाल खड़े करता है। आगे के मैचों में देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह ट्रेंड बढ़ेगा या फिर टीमें इस पर पुनर्विचार करेंगी।