क्रिकेट के ‘गब्बर’ का वो साइलेंट स्ट्रगल जो आपको रुला देगा
क्या आपने कभी सोचा है कि जिस शिखर धवन ने मैदान पर चौकों-छक्कों से फैंस का दिल जीता, आज वो खुद अपने दिल के दर्द को कैसे संभाल रहे हैं? टीम इंडिया के पूर्व ओपनर शिखर धवन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने बेटे ज़ोरावर से बिछड़ने का दर्द बयां किया। ये कहानी सिर्फ एक पिता की नहीं, बल्कि उन सभी माता-पिता की है जो तलाक के बाद बच्चों से दूर हो जाते हैं।


“मैं रोज़ उसे मैसेज करता हूँ… चाहे वो ब्लॉक ही क्यों न हो”
शिखर ने बताया कि उन्होंने अपने 11 साल के बेटे को पिछले 2 साल से सिर्फ स्पिरिचुअल तरीके से ‘महसूस’ किया है। “मैं उसे रोज़ मेडिटेशन में देखता हूँ, उससे बातें करता हूँ, गले लगाता हूँ। हफ्ते में 3-4 बार उसे मैसेज भी करता रहता हूँ, भले ही मेरा नंबर ब्लॉक है। मेरा फ़र्ज़ है कि मैं उस तक पहुँचूं,” उन्होंने बताया। ये शब्द सुनकर कोई भी पिता खुद को शिखर की जगह रखकर देख सकता है। शिखर का ये इमोशनल जर्नी हमें याद दिलाता है कि स्टेडियम के चमकते लाइट्स के पीछे भी खिलाड़ियों की ज़िंदगी में अनकही कहानियाँ छिपी होती हैं।
विशेषज्ञ बोले: “बच्चे के दिल पर क्या गुज़रती है?”
मनोवैज्ञानिक डॉ. अंजलि गुरसहानी के मुताबिक, “बचपन में माता-पिता से अचानक दूरी बच्चों में डर, गुस्सा और अकेलापन पैदा कर सकती है। लेकिन अगर बच्चे को प्यार और सपोर्ट मिले, तो वो इस सदमे से उबर सकता है।” शिखर का स्पिरिचुअल तरीका भी एक तरह का माइंडफुलनेस प्रैक्टिस है, जो साइकोलॉजी में इमोशनल हीलिंग के लिए सही माना जाता है।
ध्यान, अफ़र्मेशन और… क्रिकेट?
शिखर ने बताया कि वो मेडिटेशन के दौरान खुद को बेटे के साथ खेलते हुए कल्पना करते हैं। ये तकनीक साइंस में ‘विज़ुअलाइज़ेशन थेरेपी’ के नाम से जानी जाती है। उनका कहना है, “मैंने उसकी ज़िंदगी के सिर्फ ढाई साल देखे, लेकिन आज भी उसकी हर उम्र का चेहरा मेरी आँखों के सामने है।”
क्रिकेट के इस महासागर में शिखर जैसे खिलाड़ी साबित करते हैं कि जीत सिर्फ रनों से नहीं, बल्कि ज़िंदगी के सबसे कठिन मैचों को खेलने से भी मिलती है।
अन्य ब्लॉग पढ़े
आईपीएल अटूट रिकॉर्ड्स: अविश्वसनीय रिकॉर्ड्स जो कभी नहीं टूटेंगे – Cric Today News